काला धन- छह साल, पहले यह शब्द वर्तमान सत्ता के सिरमौर
से लेकर निचले पायों तक, मंत्र
की तरह जपा जाता था. देश के हर आदमी की जेब में इसी काले धन को सफ़ेद करके डालने के
बड़े-बड़े दावे और वादे भी किए गए थे. लेकिन बीतते वक्त के साथ “अच्छे दिनों” के तमाम रंग-बिरंगे सपनों की तरह इस शब्द को भी जैसे सेंसर कर
दिया गया है. अब यह भूल से भी सत्ताधीशों के मुंह से नहीं सुनाई देता.
लेकिन जैसे सुबह होना,मुर्गे के बांग
देने का मोहताज़ नहीं है,वैसे ही काला धन भी चर्चा के लिए सत्ताधीशों
का मोहताज़ नहीं है. उसकी चर्चा भी कहीं से,कभी भी चल निकलती है.
स्विस लीक्स,पनामा पपेर्स जैसे तमाम काले धन के चर्चे आते रहे
पर काला धन लाने का वायदा करके सत्ता में आने वालों ने मुंह न खोला.
अब अंग्रेजी अखबार “इंडियन एक्स्प्रेस” काले धन के मामले में नया खुलासा लेकर प्रस्तुत हुआ
है. इंडियन एक्स्प्रेस 100 देशों के खोजी पत्रकारों के संगठन-
इंटरनेशनल कंसोर्टियम
ऑफ इनवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट(आईसीआईजे) का हिस्सा
है.अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम करने वाले खोजी पत्रकारों के इस संगठन ने अमेरिका में
वित्तीय अपराधों पर निगरानी रखने वाले सर्वोच्च सरकारी निकाय- फाइनेंसियल क्राइम एनफोर्समेंट
नेटवर्क (FINCEN- फिनसेन)
से हासिल दस्तावेजों और उनमें संदिग्ध आर्थिक लेनदेन का विवरण सार्वजनिक
किया है.
आईसीआईजे की वैबसाइट के अनुसार फिनसेन
के पास 2011 से 2017 के बीच की 2100 संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्ट है,जिनमें लगभग 02 ट्रिलियन डॉलर की धनराशि का लेनदेन हुआ. आईसीआईजे की वैबसाइट
के अनुसार संदिग्ध गतिविधि रिपोर्ट, बैंक आदि वित्तीय संस्थानों
के द्वारा ही फिनसेन के समक्ष गोपनीय ढंग से दर्ज करवाई जाती है.
आईसीआईजे से संबद्ध होने के चलते ही इंडियन एक्स्प्रेस
को फिनसेन के संदिग्ध गतिविधि रिपोर्ट से जुड़े हुए दस्तावेज़ हासिल हुए. उन संदिग्ध
गतिविधि रिपोर्टों के माध्यम से भारत से जुड़े संदिग्ध लेनदेन करने वालों के नामों का
खुलासा इंडियन एक्सप्रेस ने किया.
संदिग्ध लेनदेन के संबंध में जिस पहले नाम का उल्लेख इंडियन
एक्स्प्रेस की रिपोर्ट में है,वो नाम है मोदी सरकार के करीबी उद्योगपति
गौतम अडानी की कंपनी का. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट बताती
है कि सिंगापुर स्थित अडानी ग्रुप की कंपनी- अडानी ग्लोबल पीटीई
को सशेल्स स्थित कंपनी- थिओनविल्ले फाइनेंसर लिमिटेड से 14.46 मिलियन डॉलर की धनराशि प्राप्त
हुई. रिपोर्ट के अनुसार बैंक ऑफ न्यू यॉर्क मेल्लन्स (बीएनवाईएम) ने फिनसेन को जो संदिग्ध
गतिविधि रिपोर्ट सौंपी, उसमें 2005-2015 के बीच जिन संदिग्ध लेनदेनों का उल्लेख
है,उसमें थिओनविल्ले फाइनेंसर लिमिटेड
द्वारा अडानी ग्लोबल पीटीई को भेजी गयी धनराशि का भी
जिक्र है और बैंक ने इस लेनदेन को संदिग्ध और अडानी ग्लोबल पीटीई को पैसा भेजने वाली
कंपनी का जिक्र शेल कंपनी यानि फर्जी कंपनी के तौर पर किया है.अखबार के अनुसार अडानी ग्रुप के प्रवक्ता ने उक्त कंपनी के साथ अपने लेनदेन
को वैध बताया है.
बीएनवाईएम ने
2013 में दाखिल संदिग्ध गतिविधि रिपोर्ट में
लिखा कि अडानी की कंपनी को पैसा भेजने वाली कंपनी - थिओनविल्ले फाइनेंसर लिमिटेड की
वैबसाइट पर लिखा हुआ था- अंडर कन्स्ट्रकशन यानि निर्माणाधीन. इंडियन एक्स्प्रेस की
रिपोर्ट बताती है कि सात साल बाद भी उक्त वैबसाइट “निर्माणाधीन” ही चल रही है !
सशेल्स जैसी जगहें जिन्हें टैक्स हैवन के नाम से जाना
जाता है और जो काले धन की भी स्वर्ग मानी जाती हैं,उनके बारे में
उक्त संदिग्ध गतिविधि रिपोर्ट के हवाले से अखबार ने लिखा है कि “ऐसे जगहों पर शेल कंपनियां
बनाना आसान है,उन्हें संचालित करना खर्च रहित है और वे इस तरह
बनी होती हैं कि उनके लेनदेन के ब्यौरे को छुपाना आसान होता है. ”
अडानी की कंपनी के अलावा कुछ अन्य कंपनियों के संदिग्ध
लेनदेन रिपोर्ट संबंधी दस्तावेजों की खबर, इंडियन एक्स्प्रेस ने
लिखी है.
अखबार के अनुसार काले धन के मामले में उच्चतम न्यायालय
द्वारा गठित एसआईटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एमबी शाह ने कहा कि वे केंद्रीय प्रत्यक्ष
कर बोर्ड और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के साथ उक्त खुलासों के संदर्भ में चर्चा
करेंगे और देश के संबंधित एजेंसियों द्वारा
प्राथमिक जांच के बाद मामले को आगे बढ़ाया जाएगा.
यह देखना दिलचस्प होगा कि वर्तमान सरकार के सबसे करीबी
उद्योगपति के बारे में शेल कंपनियों के जरिये मनी लॉन्डरिंग के अंतरराष्ट्रीय खुलासे
से केंद्र सरकार कैसे निपटती है ! कुछ कार्यवाही होगी या पनामा पेपर्स की तरह फाइल
चुपचाप ठंडे बस्ते में सरका दी जाएगी ?
-इन्द्रेश मैखुरी
इंडियन एक्स्प्रेस की रिपोर्ट का लिंक : https://indianexpress.com/article/express-exclusive/fincen-files-in-alert-on-shell-firms-ny-bank-flags-transfers-to-adani-from-seychelles-6605352/
2 Comments
सब कुछ काला हो गया।
ReplyDeleteलाल ,पीला ,नीला हर तरह का धन(नोट) आ गए बस काला धन ही नहीं आया
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