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मय और लॉकडाउन का समय


हुजूर,सरकार,गवर्नमेंट क्या सोचते हो आप,बलिहारी है आपके सोच की,ऐसे ही थोड़े सरकार बहादुर हो आप !


लॉकडाउन तीसरी बारे बढ़ाने का ऐलान कर दिया आपने. तीसरा वाला लॉकडाउन क्या है जनाब, “हो भी नहीं और हरजा हो,तुम इक गोरखधंधा हो” टाइप मामला है. चीजें बंद भी रहेंगी और खुल भी रही होंगी. 

और सबसे जबरदस्त सरकार बहादुर ने जो सोचा वो तो शराब की दुकानों के बारे में सोचा, पान,बीड़ी गुटखा वालों के बारे में सोचा. यह जो सोचा तो क्या गज़ब सोचा,लाजवाब,जिसकी मिसाल ढूँढे न मिले !






यह नहीं कहा कि शराब की दुकाने खुलेंगी कि नहीं खुलेंगी. कह दिया कि सार्वजनिक जगहों पर शराब,पान,बीड़ी,गुटखा के सेवन की अनुमति नहीं होगी. यह नहीं कहा कि शराब,पान,बीड़ी,गुटखा की दुकाने खुलेंगी. कह दिया कि शराब और इन अन्य वस्तुओं की दुकानें एक-दूसरे(ग्राहक) से छह फीट की दूरी बनाए रखेंगी और दुकान में एक वक्त पर पाँच से ज्यादा लोग इकट्ठा नहीं होंगे. यानि दुकाने खोलने का आदेश सीधा तो नहीं है,लेकिन दुकान पर पाँच से कम ग्राहक और ग्राहकों के बीच छह फीट की दूरी तभी तो होगी,जब दुकान खुलेगी. वाह, सरकार “इशारों को अगर समझो.......” वाला अंदाज क्या गज़ब है हुजूर का !



सरकारी आदेश में जहां शराब का जिक्र है,उसे भी जानिए. वह अनुलग्नक(एनेक्श्चर) है. उसका शीर्षक है- कोविड-19 के प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय निर्देश. और इन राष्ट्रीय निर्देशों की फ़ाइनल बात शराब,पान,बीड़ी,गुटखे की दुकानों के बारे में है.  




 इस फैसले से सरकार ने बता दिया कि आवश्यक सेवा क्या है. जब सब बंद रहे और शराब की दुकान खुले तो वह आवश्यक सेवा में तो गिनी ही जाएगी. यातायात,परिवहन बंद,स्कूल-कॉलेज बंद लेकिन शराब की दुकान खुली ! तो हुई न शराब आवश्यक सेवा ! स्कूल-कॉलेज खोल के करना क्या है,पढ़ते-लिखते हैं तो सवाल करते हैं लोग. सवाल करते हैं तो सरकार को दिक्कत होती है. अँग्रेजी दारू से बड़ी शिक्षा कहीं और से मिलती है भला ! इधर दारू अंदर और उधर आदमी के अंदर छुपी बैठी अँग्रेजी बाहर,धकाधक. पढ़-लिख कर भी तो अँग्रेजी ही बोलेगा न आदमी ! तो लॉकडाउन के पालन में पढ़ाई-लिखाई भले कम हो जाये पर अँग्रेजी कतई कम नहीं होनी चाहिए.सरकार के दल का नारा भले-हिन्दी,हिन्दू,हिंदुस्तान हो पर अँग्रेजी की उसे अत्याधिक चिंता है. सरकार का हर आदेश अँग्रेजी में है और दुकान भी उसने अँग्रेजी शराब की खुलवाने का फैसला लिया है ! इसे कहते हैं दूरंदेश सरकार,क्या कहने !




भविष्य में जब भी आवश्यक सेवाओं की सूची बनाई जाएगी तो यह फैसला नजीर का काम करेगा. याद रखा जाएगा कि आवश्यक सेवाओं में शराब को कतई नहीं भूलना है. यह दूरदर्शिता का चरम है.


कहा गया है कि “तुलसी आह गरीब की कबहुँ न निष्फल जाये”,गरीब की आह का पता नहीं पर शराबियों की महीने भर से आह-कराह चल रही थी,वे लगता है कि सफल हो गयी. सरकार बहादुर ने उन्हें निष्फल न होने दिया. लोग कह रहे हैं टैस्ट ज्यादा होने चाहिए,सरकार ने कहा कि टैस्ट को छोड़ो,टेस्ट में कमी नहीं होनी चाहिए. दारू,बीड़ी,गुटखे का टेस्ट बरकरार रहे तो क्या स्वाद है ज़िंदगी में !


- इन्द्रेश मैखुरी

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2 Comments

  1. Mahabharat ka yuddh 18 din chala jeet mili yaha to 21 , 18, fir 14 din me bhi jeet nahi mil rahi or janha -tanha lasho ki dher din-prati din barati ja rahi he.

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