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देवस्थानम के नाम पर जीरो टाॅलरेंस सरकार में नियुक्ति का ‘‘खेल’’, ‘‘साइलेंट मोड’’ में सरकार


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उत्तराखंड सरकार के तीन साल पूरे होने का जश्न मनाने जा रही है। सभी 13 जिलों में कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे। जश्न सरकारी खजाने से मनाया जाएगा। उस सरकारी खजाने से जिसमें पाई-पाई कर्ज की है। इन तीन सालों की एक उपब्धि सरकार जीरो टाॅलरेंस के रूप में भी बनाएगी। लेकिन, जश्न से पहले जीरो टाॅलरेंस सरकार में फाॅरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा के बाद बीकेटीसी यानी बद्री-केदार मंदिर समिति में साली की बेटी, भाई की साली और बेटे का साला भर्ती का फुल टाॅलरेंस मामला सामने आया है। सरकार साइलेंट मोड में चली गई है। इस पूरे प्रकरण में सवाल खड़े होने के बाद भी सरकार बाइब्रेट तक नहीं कर रही है। घंटी बजना तो दूर की बात...।

देवस्थानम बोर्ड का गठन
देवस्थानम बोर्ड के गठन का नोटिफिकेशन जारी होने के बाद बद्री-केदार मंदिर समिति का अस्तित्व समाप्त हो चुका है। समिति के सिरमौर और सरकार अच्छी तरह जानती थी कि समिति में अब अगर किसी को सेट कर दिया जाए, तो लाइफ सेट हो जाएगी। देवस्थानम बोर्ड का गठन हुआ, लेकिन उससे पहले ही रिश्तों की एक पटकथा लिखी जा रही थी, जिसकी सरकार के अलावा किसी को कानों-कान कोई खबर नहीं थी। जीरो टाॅलरेंस का जीरो गायब किया जा चुका था। रिश्तों की डोर को और मजबूत किया जा रहा था। जाल ऐसा बुना कि साली, साली की बेटी और बेटे के साले से बाहर ही नहीं निकल पाया। इनके अलावा 14 और लोग भी नियुक्त किये गए। उनके रिश्तों की डोर को फिलहाल परखा जा रहा है। 

1939 एक्ट की धारा 15 (4) का उल्लंघन
बीकेटीसी के निवर्तमान अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल पर सवाल क्या उठे उन्होंने सवालों को पुरानी रंजिश और दुश्मनी में बांध दिया। बदरीनाथ-केदार मंदिर समिति 1939 एक्ट की धारा 15 (4) के मुताबिक मंदिर समिति में नियुक्तियां तभी होंगी जब नियुक्ति उप समिति इसकी संस्तुति करेगी। नियुक्ति उप समिति को भी मानव संसाधन उप समिति पहले इसका प्रस्ताव भेजेगी तभी वह पदवार नियुक्ति की सिफारिश बीकेटीसी से करेगी। ना कोई संस्तुति और ना प्रस्ताव। अध्यक्ष ने सीधे नियुक्तियां दे दी, जिनका किसीको पता तक नहीं चल पाया। 

वेतन में भी खेल 
जीरो टाॅलरेंस सरकार में नियुक्तियों के साथ वेतन में भी बड़ा गड़बड़झाला सामने आया। बीकेटीसी में कई कर्मचारी पिछले 10 से 12 सालों से नौकरी कर रहे हैं। उनको 6000 से 8000 तक ही वेतन मिलता है। लेकिन, जिन 17 कर्मचारियों की नियुक्ति नियमों को ताक पर रखकर की गई। उनको सीधे 10,000 से 16,000 रुपये का वेतन प्रत्येक महीने दिया जा रहा है। इतना बड़ा नियुक्ति घोटाला होने के बावजूद साइलेंट माड से सरकार बाइब्रेट नहीं हो पा रही है। 

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